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MERI AAWAZ
MERI AAWAZ
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ऐ राही तू बस बढ़ता जा ,
बस बढ़ता जा तू बढ़ता जा ,
मंज़िल ने तुझे
ललकारा है ,
बुज़दिल कहके पुकारा है ,
उत्तर दे दे तू उसको आज , ललकारा जिसने
तुझको आज ,
कमजोर नहीं तू दिखला दे उसको ,
दम कितना तुझमें बतला दे उसको , माना की पथ
आसान न होंगे ,
कठिनाइयों से भी भरे होंगे ,
कुछ
मत सोंच बस बढ़ता जा ,
तू बढ़ता जा बस बढ़ता जा ,

पथ में अँधियारे भी होंगे ,
कांटे हीं काँटे बिछे
होंगे ,
मंज़िल को बस तु ध्यान में रख , और
बढ़ता जा तु बस बढ़ता जा ,

जो आज तु पीछे हट जायेगा , जीवन भर तु
पछताएगा ,
एक बार जो मंज़िल पा जायेगा , दुनिया भर में
छा जायेगा ,

बस रख हौसला और बढ़ता जा ,
ऐ राही तू बस बढ़ता जा बढ़ता जा |

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